नाज़ुक सी
बिलकुल अलग,
बीचों बीच दरख़्त के तने सी
वो एक टांग वाली मेज़...
गोल तश्तरी सा ताज सागवान का,
उस पर इतना बोझ सामान का,
तन के खड़ी है,
सबकुछ संभाले,
मानो कितना आसान था I
मुझे तो दो बक्शीं हैं तूने,
फिर क्यों वक़्त बेवक़त,
लड़खड़ा कर
धम्म से गिरा जाता हूँ मैं ??
दरख़्त = tree, तश्तरी = tray, ताज = crown, सागवान = teak wood, बक्शीं = bestowed, granted
respect
ReplyDeleteअरी, `दो' होनेसे ही तो उनके आपसी तू तू मै मैं से वो लड़खड़ा जाते है !
ReplyDeleteजिसके पास `एक' है वो तो बेचारा गिरने के डर से खुदको सम्हलके रक्खा करता है !!
:)
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